मैं और मेरे अह्सास
अच्छे कर्म सना बन गया
श्राप भी दुआ बन गया ll
मुहब्बत मे मिला हुआ l
दर्द भी दवा बन गया ll
इश्क ने सालो से की हुई l
बेवफाई अदा बन गया ll
कई युगों से तलाश थी वो l
तेरा प्यार जहा बन गया ll
आज रूठे हुए यार का l
मौन भी सदा बन गया ll
१६-४-२०२२
सना - प्रार्थना
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह