रात आती है, ढलने के लिए
सुबह आती है, जगाने को
दिन होता है,
पूरा करने के लिए
तेरे सपने,
तेरे अपनों के सपने
कर्मठ बन,
मजबूत होंसलों के साथ,
दृड़ कर इरादे,
जतादे मंजिलों को,
कि मुसाफिर अभी
थका नहीं, रूका नहीं, झुका नहीं
वो निकल पड़ा है,
मंजिलों को फतह करने.....👍
-Jatin Tyagi