*ग्रीष्म,चिरैया,गौरैया,लू,तपन*
1 ग्रीष्म
ग्रीष्म-तप रहा मार्च से, कमर कसे है जून।
जब आएँगे नव तपा, दूँगा सबको भून।।
2 चिरैया
पतझर में तरु झर गए, ग्रीष्म मचाए शोर ।
उड़ीं चिरैया देखकर, कल को यहाँ न भोर।।
3 गौरैया
गौरैया दिखती नहीं, ममता देखे राह।
दाना रोज बिखेरती, रही अधूरी चाह।।
4 लू
भरी दुपहरी में लगे, लू की गरम थपेड़।
कर्मवीर अब कृषक भी, लगते सभी अधेड़।।
5 तपन
सूरज की अब तपन का, दिखा रौद्र अवतार।
सूख रहे सरवर कुआँ, सबको चढ़ा बुखार।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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