नज़रों से उतरना किसे पसंद है
उसके दिल में उतरे तो बात ही कुछ और है...
बोला हुआ तो हर कोई सुन ले
वो ख़ामोशी सुन ले तो बात ही कुछ और है...
ज़िंदगी तो हर कोई जीता ही है
उसके संग गुज़रे तो बात ही कुछ और है...
रात तो हर रोज़ होती है
सुलाने को उसकी बाँहें हो तो बात ही कुछ और है
होश में तो सब सही रहते है
वो नशे में भी हमारा रहे तो बात ही कुछ और है...
-स्मृति