Hindi Quote in Book-Review by Abhilekh Dwivedi

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किसी भी बात को बढ़ा-चढ़ाकर खींचना मेरी आदत है नहीं, लेकिन कोशिश यही रहती है कि जब भी कुछ कहूं या लिखूं तो अपना एक ऐसा नजरिया पेश करूं जो अलग भी हो और वाजिब हो। और यही कोशिश मैंने की, जब "बेस्टसेलर" के लिए कवर डिजाइन करना था। मेरे दिमाग में पहले से ही तय था कि मुझे कैसी इमेज बनानी है, टाइटल कैसा डिजाइन करना है और कौन-कौन से उसमें इमोजी होंगे। क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि कुछ भी ऐसा दिखे जिससे कि कुछ समझ में नहीं आए या सबकुछ मालूम हो जाए। मेरी कोशिश हमेशा से यही रही है कि कवर, टाइटल इतना असरदार हो कि वह हमेशा नया और अलग दिखे।

आप अगर इस बार की टाइटल पर गौर करेंगे तो जो दिल बना हुआ है वह उल्टा है और अगर आप उल्टे दिल का मतलब समझेंगे या समझने की कोशिश करें, तो आप शायद कहानी के करीब तक पहुंच पाए। लेकिन जब वह उल्टा दिल भी टूटा हुआ हो, तो आपको क्या लगता है कहानी कैसी होगी और कितनी सीधी कहानी हो सकती है? जब एक टाइटल के ऊपर ऐसी चीजें रख दी जाए तो क्या सब कुछ साफ दिख जाता है? या कुछ ऐसी बातें हैं जो सामने आएंगी तो पढ़ने वाला चौंकेगा जरूर?

मेरी यही एक कोशिश है जो मैंने अपने हर कवर के दौरान रखा। मैंने इस बार इस चीज को प्रिंट के टाइम अपने पब्लिशर से भी कहा कि मुझे यही स्टाइल अंदर भी चाहिए तो उन्होंने कहा कि यह संभव नहीं है क्योंकि वह शायद अलग दिखे या समझ में नहीं आए, लेकिन जो आसानी से हो जाए और जो कॉमन दिखे, वैसा मुझे कुछ भी नहीं करना था। इस बार कोशिश यही रखी है कि जैसा कवर पर टाइटल है वही अंदर भी दिखे। टूटे-फूटे जो भी हैं, उल्टा सीधा जो भी है, सब सामने हो और सबके सामने हो।

अगर अभी भी कुछ सोच रहे हैं तो देर मत कीजिए। ऑफर हैं, जल्दी से आर्डर कीजिए। इसको पढ़ने में ज्यादा समय नहीं लगेगा, इतना मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि इसकी कहानी ऐसी है कि जब आप शुरू करेंगे तो आप खत्म करके ही उठेंगे। और यह आपके इतने करीब है कि आपने अब तक जितने भी लेखकों को पढ़ा होगा, उन सब को आप यहां पर देख पाएंगे! इसलिए यह किसी एक की कहानी नहीं है या किसी एक कम्यूनिटी/ग्रुप की कहानी नहीं है।

यहाँ एक ऐसी कहानी है जिसका हिस्सा आप खुद हैं। मेरी बस यही गुजारिश है कि आप इसे हाथों-हाथ लीजिए, पढ़िए, लोगों के साथ शेयर कीजिए और उन्हें बताइए कि लेखक बनने के बाद की जो जद्दोजहद शुरू होती है वह क्या है और कहां तक होती है।

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Hindi Book-Review by Abhilekh Dwivedi : 111794875
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