Hindi Quote in Religious by Deepak Vyas

Religious quotes are very popular on BitesApp with millions of authors writing small inspirational quotes in Hindi daily and inspiring the readers, you can start writing today and fulfill your life of becoming the quotes writer or poem writer.

*होलिका की कहानी* *होलिका कौन थी*
Part-1

सतयुग में महर्षि कश्यप की कई पत्नियाँ थी जिनमें से एक दिति भी थी। दिति के गर्भ से ही जन्में बच्चों को दैत्यों की संज्ञा दी गयी थी। उसकी कोख से मुख्यतया दो बालक व एक बालिका का जन्म हुआ था जिनके नाम हिरण्यकश्यप, हिरण्याक्ष व होलिका था।

इनमें सबसे बड़ा हिरण्यकश्यप था। इन दोनों दैत्यों का वध भगवान विष्णु को अलग-अलग अवतार लेकर करना पड़ा था। जिनमें से हिरण्याक्ष दैत्य का वध भगवान विष्णु के वराह अवतार ने तो हिरण्यकश्यप दैत्य का वध नरसिंह अवतार ने किया था।

होलिका को भगवान ब्रह्मा का वरदान
होलिका ने भगवान ब्रह्मा की कठिन तपस्या की थी और उनसे एक विशिष्ट वरदान प्राप्त किया था। दरअसल होलिका को भगवान ब्रह्मा से यह वरदान प्राप्त था कि कोई भी अग्नि उसे कभी जला नही पायेगी। इसी के साथ ब्रह्मा ने कहा था कि यह वरदान तभी प्रभावी होगा जब वह इसे स्वयं की रक्षा करने या दूसरों की भलाई करने के उद्देश्य से प्रयोग में लाएगी।

इस वरदान को पाकर होलिका बहुत खुश हो गयी थी। अब तीनों लोकों की अग्नि भी उसे जलाकर भस्म नही कर सकती थी।

होलिका ने की अपने भाई की सहायता
होलिका के छोटे भाई हिरण्याक्ष राक्षस का भगवान वराह के द्वारा वध हो चुका था। इसके पश्चात उसके बड़े भाई हिरण्यकश्यप ने भगवान ब्रह्मा से विचित्र वरदान प्राप्त किया था जिस कारण कोई भी उसका वध नही कर सकता था। उसने तीनों लोकों पर आधिपत्य स्थापित कर लिया था तथा विष्णु को नकार दिया था। इसी के साथ उसने स्वयं को भगवान घोषित किया हुआ था।

किंतु उसी के परिवार में उसका बेटा और होलिका का भतीजा प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। सभी उसके इस व्यवहार से बहुत दुखी रहते थे। हिरण्यकश्यप ने कई बार प्रह्लाद का वध करने का प्रयास किया किंतु हर बार भगवान विष्णु के द्वारा उसके प्राणों की रक्षा कर ली जाती थी।

एक दिन हिरण्यकश्यप इसी चिंता में डूबा हुआ था तभी होलिका को एक विचार आया। वह अपने भाई के पास गयी और उसके सामने प्रस्ताव रखा कि यदि वह प्रह्लाद को अपनी गोद में बिठाकर अग्नि में बैठ जाए तो। अर्थात सैनिकों की सहायता से एक बड़ी जगह पर चिता जलायी जाए और उस अग्नि में होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर बैठ जाएगी।

चूँकि उसे तो भगवान ब्रह्मा का वरदान प्राप्त था, इसलिये उसे कुछ नही होगा लेकिन प्रह्लाद उस अग्नि से निकल कर भागने ना पाए, इसलिये वह उसे कसके पकड़कर रखेगी ताकि वह वही जलकर भस्म हो जाए। हिरण्यकश्यप को यह प्रस्ताव पसंद आया और उसने ऐसा ही करने को कहा।

होलिका का प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठना
इसके बाद हिरण्यकश्यप ने अपने सैनकों को यही आदेश दिया। कुछ ही पलों में एक खाली जगह पर विशाल लकड़ियों और घास-फूस इकठ्ठा कर दिया गया और उसके बीचों बीच होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर बैठ गयी।

🙏 हर हर महादेव शिव शंभू 🙏

#HappyHoli -Part1

Hindi Religious by Deepak Vyas : 111792977
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now