एक लड़की अपनी ज़िंदगी खुलके कहा जी पाती है...
अपने माँ पापा की खुशी के ख़ातिर
हररोज़ कई सपनो को दिल मे दबाती है..
आयेगा कोई हमसफर जो अपनी दुनिया मे ले जाएगा
हाथ मेरा थाम कर मेरे हरसपने सजाएगा..
मेरी बैरंग ज़िंदगी मे अपने प्यार के रंगभर जाएगा...
मेरे अधूरे खाबो को पूरा कर दिखायेगा...
बस , इसी आस में अपनी आधी ज़िंदगी बिताती है...
एक लड़की अपनी ज़िंदगी खुलकर कहा जी पाती है..
शादी के बाद घर परिवार के कामो में कुछ यूं उलज़ सी जाती है
सब की जरूरतों को पूरा करने में खुद के लिए जीना ही भूल जाती है...
फिरभी हार कहा मानती है वो..,
अपनो की खुशी को खुद की खुशी मानकर खुशहो जाती है..
अपने दिल मे दबे सपनो को पूरा करने की आस बस एक आस बनकर ही रहे जाती है..
इसलिए केहते है कि एक लड़की अपनी ज़िंदगी खुलकर कहा जी पाती है...