एक बेचारी।
एक बेचारी कर्म काट रही है ।
प्रतिदिन रावण के त्रास सह रही है।।
दिन रात मिलाकर छ सात घंटे वो मौत के मंज़र सामने खड़े देख रही है। गुरुदेव जी का भरोसा है उनके चरणों में शरण ले रखी है।
बड़ी गरीब लाचार दुखियारी है।
रावण के काल कहर जारी है।
रावण शागिर्दों संग मौत की गाडी लेकर घूम रही है।।
क्या करे दुखियारी बेचारी संतान संग भयंकर त्रास सहन कर रही है।।
प्रार्थना कर रही है कि अकाल मौत न हो किसी को भी यही कामना की पूर्ति हेतु आस रख रही है।
निरुपाय होकर आंसू बहा रही है।
जिंदगी की सांसें रोज गिन रही है।
सांसे मौत पर भारी पड़ रही है।।
फिर भी वो जी रही है।
वो जिंदा कैसे हैं ये सोच कर ईश्वर का शुक्रिया कर रही है।।
दो लोग प्रत्येक दिन मौत के शागिर्द बनकर आगे पीछे घूम रहे हैं।
त्रास देने की कोशिश कर रहे हैं।
वो सत्संग पढ़ रही है या फिर मोबाइल फोन पर प्रवचन पढ़ रही है।
चुपचाप गुरुदेव की साधना कर रही है।
कुछ नहीं कह रही है।
एक जगह पर बैठकर सिर्फ भगवान का जप कर रही है।
पानी भी दो तीन घंटे नहीं पी रही है।
सिर्फ रावण के शागिर्द पर नजर रख रही है।
तरह-तरह से त्रास
वक्त दे रही है।।
पता नहीं कब वो रावण
के जाल में फंस जाए
इसलिए गुरुदेव जी से प्रार्थना कर रही है।।
कोटि-कोटि प्रणाम हे गुरुदेव।
-Anita Sinha