*दोहा सृजन हेतु शब्द--*
*रागिनी,मयूर,पुष्पज, अंगना,पर्जन्य*
1 रागनी
प्रेम रागनी बह चली, नव युगलों के बीच।
मधुरिम रात गुजर गई, प्रिय स्मृतियाँ सींच।।
राग-रागनी में रहा, प्रेम भाव का वास।
पूजन अर्चन संग में, प्रभु को आता रास।।
2 मयूर
हर्षित खड़ा मयूर है, चला प्रेम संवाद।
देख मयूरी नाचती, मेघों का है नाद।।
3 पुष्पज
बासंती ऋतु आ गई, भौरों का स्वर गान।
पुष्पज पर गुंजन करें, किया झूम रसपान।।
4 अंगना
अंगना के पजना बजे, खुशियों की बरसात।
घर आई नव पाहुनी, शुभ मुहूर्त की रात ।।
5 पर्जन्य
बरस उठे पर्जन्य हैं, गरज-धरज के साथ।
झूम उठी है यह धरा, बढ़े कृषक के हाथ।।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "