जय हो भास्कर भगवान की।
जय हो दिनकर भगवान की।
जय हो दिवाकर भगवान की।
जय हो आदित्य भगवान की।
जय हो सूरज भगवान की।
जिस तरह के दो दिनों से मौसम है , वैसे में सूरज
भगवान को उदय होते हुए देख लिया यही भाग्य
की बात है। नहीं तो बदली वाले दिनों में तो सूरज
भगवान के दर्शन लुका छिपी कर होते हैं।।। प्रभात
वेला में जो देखे साढ़े छः बजे के आस पास सूरज
भगवान का आभावान अलौकिक रूप तो ऐसा लगा
कि आज धूप मिलेगी थोड़ी सी। मगर देखते हैं तो
सूरज भगवान जी आसमान में नजर नहीं आ रहे हैं।
अभी मौसम की घोषणा हुई है कि हवाएं चलेंगी,
पानी की बूंदा-बांदी होगी और वातावरण में शीत लहर का कहर होगा। ठीक है मौसम परिवर्तन तो होगा
मगर हमलोगो को थोड़ा सा बचकर रहना चाहिए।
क्योंकि ये शीत लहर कहर मचा रही है।। अत्यधिक
ठंड महसूस हो रहा है। गर्म पेय पदार्थ की आवश्यकता
होती है । अब सवाल यह है कि जो व्यक्ति ज्यादा चाय
नहीं पीते हैं वे काढ़ा या ग्रीन टी पीकर काम चलाते हैं।
अब ये तो हुआ आम बातें । जो होना ही है।
हे भगवान भास्कर तेरे चरणों में शीश नवाएं।
तेरे चरणों में भजन करें।
तेरे चरणों में सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करें।
तेरे चरणों में जग मंगल की कामना करें।
हे भास्कर भगवान कंचन काया दो।
निरोगी काया हो तो अति उत्तम है।
हे भास्कर भगवान जिंदगी का आधार हो।
जिंदगी न दुश्वार हो।
जिंदगी में सुख सार दो।
जिंदगी में खुशियों की बहार हो।
खुशियों की सुहानी शाम हो।
खुशियों की बरसात हो।
हे भास्कर भगवान जी आपके चरणों में सर्व मंगल
कामना के लिए प्रार्थना करते हैं।
सबका मंगल हो।
जग उद्धार करो।
जग कल्याण करो।
हे भास्कर भगवान अनिता कहे अब जीवन
पथ पर सारथी बनकर रहना ।।
जीवन को संकट मुक्त रखना।
पल-पल स्मरण करें तेरा।
वंदन करते रहें तेरा।
जीवन को उबार देना।
जीवन को तार देना।
भव दुःख दूर कर भव सागर से पार कर देना।
चरण शरण में रखना ।
शरणागति की रक्षा करो भक्त गण रहे निशंक।
हे सूर्य भगवान हम आए हैं आपकी शरण
आप लीजिए अंक।
भूल चूक माफ करो हे भास्कर भगवान जी।
कोटि-कोटि प्रणाम हे भास्कर भगवान जी।
दण्डवत प्रणाम स्वीकार करें।
हे साक्षात् दर्शन देने वाले देव।
सबकी मनसा पूरी करते हो।
तुम उदय होते ही अंधकार हर लेते हो।
फिर जगमगाते रुप लेकर उदित होना
संसार में अतुलित प्रकाश संचारित करना।
जय भास्कर भगवान जी कोटि-कोटि प्रणाम।
-Anita Sinha