मैं और मेरे अह्सास
क्या बात है कि वह अब नज़रे चुराने लगे हैं?
वो खुद से ही खुद का अक्स छुपाने लगे हैं ll
दिल की धड़कनों ने ऐसा क्या कह दिया?
इशारों इशारों में दिल को लुभाने लगे हैं ll
चोट तो दिल पे लगी है दिमाग क्यूँ बंध है?
प्यार सी महँगी दौलत को लुटाने लगे हैं ll
२८-१-२०२२
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह