मैं और मेरे अह्सास
यादो की बारात सताती है l
नीद आँखों से उड़ जाती है ll
सपनों की नगरी से होकर l
आईना खुद को दिखाती है ll
मुद्दतों से न आने वालो को l
ख्वाबों मे रूबरू लाती है ll
अश्कों की बारिस बहाकर l
जब जाके चैन वो पाती है ll
प्यार से प्यारे सजना की l
तस्वीर देख शरमाती है ll
७-१-२०२२ सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह