हे पुरुष कितने मूर्ख हो तुम
स्त्री को संतुष्ट करने के लिए!!
उसकी देह में फिरते हो तुम
तुम्हें स्त्री नहीं देह पसंद है!!
उसकी देह को पाने के लिए
इसलिए प्रेम से पूछते हो तुम!!
ना स्त्री, ना प्रेम बस देह पंसद हो तुम
देह के चाह में उसे प्रेम में बुनते हो तुम!!
-maya
यह कविता उन पुरुषों के लिए है
स्त्री को स्त्री ना समझ कर
केवल देह मात्र समझते हैं 🙏🙏🙏🙏🙏🙏