जब कभी बचपन की यादें आती हैं
दोनों गालों पर खुशी की चहक
और आखों मे उन दिनो की झलक
यु लगती है की,
काश कोइ मंत्र होता
फिर से उन यादो की गलीया मे जाने का
मां कहती हैं जब कभी मेलो की बाते
एक पल खुशी से कलेजा भर आती हैं
तो दुसरे झण सब कुछ होने पर भी
अब दिल खुश नही रहती ,यह कहकर
आखो में बुंदे नजर आती हैं
उन दिनो में
दस पैसो में पुरी दुनीया जीत लेना
खुशी को हर पल हर झण नजर आना
ना रोने की वजह मिलती थी
ना हसने की बहाना
ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझ से मेरी जवानी
मगर मुझ को लौटा दो बचपन का सावन
वो काग़ज़ की कश्ती वो बारिश का पानी
-Maya