डर से ही सही,आस जगाती है।
सुबह होने का,तभी सुलाती है।।
हंसने का रोने का,साध मौन खोने का।
अहसास जताती है,हर पल खुद के होने का।।
मरना तो है ही एक दिन,चिराग कितने ही बुझ गये अब तक।
रात ही भली!स्वप्नवत ही सही,अपनी अर्थी दिखाती है।।
#रातकाअफ़साना
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