साहित्य
हदय की अनकही बातो को श्रृंगारकर
लयबध्द लचक देता है साहित्य...
भावनाओ में बहते नीर को समेटकर मठारकर
मिलता है एक कविता का रूप...
प्रीत की चंचल उर्मि या आँखो से छलकती
अश्रु धार का सहारा है ये...
विचारो के मंडराते चक्रव्यूह को कंडारकर
सजाने वाली ते नयी राह है...
एक ऐसी ताकत है इस में कोई भी पढ़े
लगे जैसे अपनापन जाने खुद का ही है...
-Shree...Ripal Vyas