भावना मन से अलग जो थी नही , क्या जरुरत थी बताने आ गया , भाव जो अनभिज्ञ थे क्यों जताये ही गये , भावना जो सुप्त थी क्यों उठाये ही गये , देह की न बात थी तो देह तूने क्यों धरी , आत्मा का खेल तो मृत्यु से ही मेल है | मै मिली पहले ही हूँ , मुझको मिलाने क्यों चला , भावना मन की है यह बताने क्यों चला | क्या समझकर बात की तूने भला अधिकार की ,जो नही था हाथ तेरे क्यों जगाने ही चला | क्या किया ? क्या हो रहा ? क्या था तेरा फैसला ?
-Ruchi Dixit