आसमान वो छू लेते है जो ज़िनी और नीची नज़र कर चलता है.ऊँची नज़र दो तरह के इन्सान करता है,जो कोई भला काम किया है,या कुछ हांसिल करके आया हो.नीचा मूंह वो करता है जो धरती पर बोझ बनकर ज़ी रहे है.जीने का हक्क भगवानने सबको दिया है,पर वो सब्र कर रहा है,की वो आज नही तो कल सुधर जायेगा.
- वात्त्सल्य