सजल
समांत- इया
पदांत- में
मात्राभार- 16
प्रजातंत्र की इस बगिया में।
खुशियाँ रूठी हैं कुटिया में ।।
रामराज्य का सपना खोया,
भ्रष्टाचारों की कुठिया में ।
भीत खड़ी हैं भेद भाव की,
लटकीं हैं फोटो खुटिया में।
हिंदुस्तानी बचे कहाँ हैं,
सभी सो गए हैं खटिया में।
हवलदार की ताकत होती,
उसकी वर्दी सँग लठिया में।
खेत और खलिहान कृषक के,
देकर बैठे हैं अधिया में ।
चलो बचाएँ वर्षा-पानी,
भर-भरकर अपनी लुटिया में।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏