हवाओं ....., मैं नाराज़ हूं तुमसे 😠
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हवाओं से लग रहा है
जैसे अब दुश्मनी हो मेरी
मैं आती हूं
तो खुद किनारा काट लेती हैं
कह दो उससे कोई
जो अगर मैंने किनारा काटा उससे
तो फिर वो बादल लेकर आए या फिर तारे
रोए बरसात की तरह या फिर चांद को अपना आइना बनाए
मैं न मानूंगी फिर कभी
और न ही उसकी धड़कन में फिर कभी समाऊंगी
- अरुंधती गर्ग ( Meethiiiiiii 😊 )
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कहो हवाओं.........., तुम कैसी हो...???
आज तो तुम्हारा इंतजार करते - करते थक गई मैं,
तुम तो नही आई आज शाम.....,
पर तब भी मैंने अपनी चाय खत्म कर दी,
मम्मी ने बनाई थी आज चाय ,
बेसब्री से इंतजार था मुझे ....,
कि आज तुम्हें मम्मी की चाय से मिलवाऊंगी
लेकिन पता नही तुम आज क्यों नहीं आई...!!!!
नाराज़ हो क्या मुझसे...???
बता रही हूं तुमको...,
अगर ऐसा नहीं है तो अब तुम मेरी नाराज़गी झेलने को तैयार रहो,
क्योंकि अब मैं तुमसे बहुत नाराज़ हूं ....,
बहुत ही ज्यादा नाराज़ ...!!!
आज तो मैं बचपन की तरह तुमसे कट्टी करूंगी,
जाओ अब ...., मैं तो नहीं मानने वाली 😏🙄🤨🧐
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मान मनौव्वल बढ़ावा रहे हैं हम इन हवाओं से अपना ....., बहुत नखरे करती हैं ये ....., अब हम करेंगे नखरे , भले ही झूठे ही सही 🤭😀
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एक हफ्ते पहले की पिक है 👇, अपनी ही छत से खींची थी हमने , तब ये हवाएं बहुत जोरों से बह रही थीं । अब नही चल रही न , इसी लिए उन्हें याद दिलाने को डाले हैं , कि देख लो , अब न मानेंगे 😏।