जो अपनी सारी उम्र 'मकान' को 'घर' बनाने में लगा देती है,,,
उसका सही मायनों मे अपना घर ही नहीं होता,,,
बचपन से सुनती आई कि 'ये तो पराई है,,
दूसरे घर की अमानत है,, एक दिन अपने घर चली जाएगी।।'
और शादी के बाद जरा भूल हो जाने पर सुनती है, 'अपने घर से कुछ सीख कर नहीं आई,,पता था ना कि एक दिन पराए घर जाना है'।।।।
""ईंट पत्थर के "मकान" को "घर" बनाने वाली जाने अपना खुद का घर कब पाएगी????""
khushboo