___ मुहर्रम ___
अल्लाह ने फुर्सत से देखा
इस्लाम का हर वजूद
कर्बला की जंग में बार-बार
दिल में सुकून न पायें
इमान हुसैन की सच्ची शहादत
ज़हन में नमाज़ी लेकर ,
मज़ार पर लाखों सदका पढ़ें
फिर अफसोस-गम सदा
अंदर बाहर खलता रहें..!
या हुसैन हम तो तेरे हीं
नेक बंदे-पाक फरिस्ते है
खेलते है पुरी शिद्दत से
ताजिया, झुलस मुहर्रम पर
ख़ुदको लहुलुहान करके
तेरे हवाले किया है
फिर कहा दर्द सिसकता है..!!
-© शेखर खराड़ी (१९/८/२०२१)