विषय - ये मेरा हिंदुस्तान है
शीर्षक- मेरा हिंदुस्तान
तुर्की अफगानी ने हमको लूटा मित्र बना कर के
हम रहे अतिथि सत्कारों में वो गए मुर्ख बना कर के
फिर भी अपनी यही भावना अतिथि सदा भगवान है
प्रेम व्याप्त है जन - जन में ये मेरा हिंदुस्तान है
अंग्रेजों ने हृदय टटोला घात लगा कर फिर कुछ बोला
मूक बधिर के जैसे हम दिखने में बिल्कुल ही भोला
आँखों से दया छलकती अपने अपनी अलग पहचान है
प्रेम व्याप्त है जन - जन में ये मेरा हिंदुस्तान है
कण कण में शंकर रहते हैं रोम रोम में राम हैं
भक्ति भाव और परोपकार में पूरे चारों धाम हैं
यही बसा है संस्कारों में यही ज्योति स्वाभिमान है
प्रेम व्याप्त है जन - जन में ये मेरा हिंदुस्तान है
हरित क्रांति और अगस्त क्रांति हम दोनों की पूजते हैं
अपने अधिकारों के खातिर दिल-ओ-जान से जूझते हैं
छल और कपट नहीं है हम में इससे हम अंजान हैं
प्रेम व्याप्त है जन - जन में ये मेरा हिंदुस्तान है
गर्व है हमको देश पर अपने इसमें बसती जान है
यही हमारी दौलत है यही हमारी शान है
तो फिर ज्योति कहे ना क्यूँ मेरा भारत महान है
आओ हम सब मिलकर बोलें ये मेरा हिंदुस्तान है
ज्योति प्रकाश राय
भदोही, उत्तर प्रदेश