सभी प्रबुद्ध साहित्यकारों के सामने प्रस्तुत हैं, पाँच दोहे सादर प्रस्तुत हैं। 🙏🙏🙏🙏
1 बदरी
बदरी बरसीं झूमकर, नाचे जंगल मोर।
हरी भरी हैं वादियाँ, पशु-पक्षी का शोर।।
2 बिजली
बिजली चमकी गगन में,जल बर्षा संकेत।
दादुर झींगुर गा उठे, हरियाएंगे खेत।।
3 मेघ
उठे मेघ आकाश में, बही हवाएँ तेज।
गोरी रस्ता देखती, लेटी अपने सेज।।
4 चौमास
हँसा देख चौमास को, मुरझाया जो फूल।
मुख की रंगत बढ़ गई, तन की झाड़ी धूल।।
5 ताल
ताल तलैया बावली, छलके यौवन रूप ।
बहती नदिया बावरी, प्रेम भरे रस-कूप।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "