1 क्रांति
करें देश निर्माण मिल, बने क्रांति उद्घघोष।
यह भारत है चाहता, स्वयं हटेंगे दोष।।
2 वीरगति,
अंग्रेजों के काल में, होती थी कब भोर।
संघर्षों में वीरगति, जुल्म किए घनघोर।।
3 कृतज्ञ
हम कृतज्ञ हैं देश के, हम पर है अहसान।
बचपन से है आज तक, पाया है सम्मान।।
4 स्वतंत्र
भाषा धर्म स्वतंत्र सब, हो नैतिक यह ज्ञान ।
कर्तव्यों का बोध हो, अधिकारों का भान।।
5 देशभक्ति
देशभक्ति मन में बसे, तभी राष्ट्र निर्माण ।
संकट कभी न आ सके, जग में रहा प्रमाण।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "