श्रम भविष्य का अग्रदूत है। व्यक्ति के माध्यम से वह एक बहुत ही श्रमसाध्य अनुभव दिखाता है।
समृद्धी की भावना सच्ची है। उनकी छवि या जीवंत और जीवनदायी भी है।
ब्रह्मांड के साथ सामंजस्य स्थापित करने की प्रवृत्ति श्रम में परिलक्षित होती है।
उसमें पवित्रता प्रकट होती है।
इससे पवित्रता का नुकसान नहीं है।

-Chandrakant Pawar

Marathi Motivational by Chandrakant Pawar : 111736899
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