कितने तरह के होते है रिश्ते,
खून से खून का रिश्ता,
दिल से दिल का रिश्ता,
मन से मन का रिश्ता,
आँखों से आँखों का रिश्ता,
जान पहचान वाला रिश्ता,
अनजान से कुछ अपना रिश्ता,
पता नहीं कब,कैसे,कहाँ,
जुड़ जाता है कोई रिश्ता,
और देखते ही देखते बहुत,
मज़बूत बन जाता है रिश्ता।
-Parmar Sadhna