मैं और मेरे अह्सास
बरसो बाद मैंने अपना चांद देखा है l
बड़ी मुरादों के बाद मैंने यार देखा है ll
मृगनयनी महबूबा की नटखट सी l
नैन नशीली आँखों मे प्यार देखा है ll
बरसो बाद मैंने अपने दिल में l
उनकी चाहत का जाल देखा है ll
खूबसूरत नजारा देखने को मिला l
चांद को चांद के पास देखा है ll
दर्शिता