विषय: नई पहचान
शहर गांव हुए सुने, गलियां हुई वीरान
दिल धड़क रहा, सारे अंग हो रहे बेजान
टूटी सी सांसे, तपते जिस्म, बेजान जीवन
बंद से पड़े मकानों में, गिरते, पड़ते, इंसान
कौन सहारा, कौन बेसहारा, सब का भगवान
टूटा हर भरम, जान गया, अपना मूल्य इंसान
ये तेरे, मेरे की दुनिया, दे रही है, नई पहचान
आपसी सहयोग से ही होगा, अब हर समाधान
भूले जीने के, सब नियम, अब याद रखना होगा
सत्य आधार जीवन का, आत्मा से समझना होगा
राही है, सफर जिंदगी, मंजिल है, हमारी मोक्ष
इस सोच से अब जीना, उसी में होना है, अब दक्ष
✍️ कमल भंसाली