कुछ करूँ ऐसा की मैं "रोज़" बनूँ।
हर धड़कते दिल की मैं सोच बनूँ।
इरादा इतना कि तू खुश रहे हरदम।
ख्वाहिश नहीं कि तुझ पर बोझ बनूँ।
तू फूल बन कर महकाये फ़िज़ा को।
तेरी ख़ातिर चाहे मैं ज़मीदोज़ बनूँ।
तू बन जाये मेरी अमृता प्रीतम।
मैं एक दिन तेरा इमरोज़ बनूँ।
-Arjun Allahabadi