मेरे दिल को तेरे लिए धड़कने की आदत थी,
मेरी रूह को तेरे लिए तड़पने की आदत थी।
तू समुंदर हो कर भी वो प्यास बुझा न सका,
एक तेरी ही प्यास को तरसने की आदत थी।
और कुछ कहाँ आता भी था, प्यार के सिवा?
सिर्फ तुम पर ही तो बरसने की आदत थी।
तुझे देखे बिना जीना कहाँ आता भी था मुझे?
तेरे नशे में ही मुझ को बहकने की आदत थी।
अक्ष प्याला जाम का, आज रहा ना काम का,
आज खाली खाली हैं छलकने की आदत थी।
-Akshay Dhamecha