My Soulful Poem....!!!
मयखाने से हमने पूछा आजकल
दर पे तेरे इतना सन्नाटा क्यों है भाई.?
ग़मज़दा मयखाना भी मुस्कुराते हूएँ
संगीन-ओ-ग़म-गीन लहजे में बोला:
“लहू पीने का दौर है आजकल साहब,
अब 🍸 शराब को पूछता कौन है..??
रंग लहूँ का है तो सब का यक-सा फिर
अहसास ज़हनों में बदलता कौन है..??
आदमखोर हो चूका आज का आदमी इन्सानियत को आज पूछता कौन है.??
दया-भाव अहो-भाव मेहमान-नवाज़ी हैं
ख़्वाबों के फँसाने, को पूछता कौन है.?
बहकता कटता मरता जिस्म तो एक है
पीछे भूखे तड़पतो को पूछता कौन है.?
प्रभु भी जिस्मों से निकल खूँटी पे टंगें
“रुँहो”में बिराजमान को पूछता कौन है
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