समुद्र मंथन के समय बाली और सुग्रीव ने देवताओं की सहायता की थी , सुमेरु पर्वत को महासागर तक लाने की जिम्मेदारी बाली को दी गई थी जिसे उसने अच्छी तरह निभाया , पर्वत को कच्छप की पीठ पर वाली और सुग्रीव ने मिल कर रखा था । कच्छप स्वयं विष्णु भगवान थे और उन्होंने इन दोनों से वादा किया था कि भविष्य में यह देवताओं का कार्य इसी तरह संपादन करते रहे और यह कि वह आने वाले समय में इनसे पुन: भेंट करेंगे
२. तदोपरांत जब विष्णु ने वामन अवतार लिया और असुर राजा बलि को पाताल में जाने का आदेश दिया तब रिक्ष राज जांबवंत ने भगवान वामन के तब २१ चक्कर लगाए जब वह अपने पग से तीनों लोक नाप रहे थे ।
३. ब्रम्हा के मानस पुत्र और नारायण के भक्त नारद एक बार एक राजकुमारी पर मोहित हो गए जिसका स्वयंवर होने जा रहा था तब यह सोच कर कि राजकुमारी उन्हीं का वरण करे उन्होंने विष्णु जी से वरदान मांगा कि मेरा स्वरूप ' हरी ' समान आकर्षक बनाए । हरी का संस्कृत में एक अर्थ बन्दर भी होता है तो नारद जी वानर वेश में स्वयंवर में शामिल होने आ गए जब राजकुमारी वर माला लेे कर उनके सम्मुख आईं तो उनकी सहेलियों ने नारद जी का मज़ाक उदय और उनको दर्पण में मुख देखने को कहा , नारद जी ने जब अपना वानर मुख देखा तो आग बबूला हो कर उन्होंने विष्णु जो को शाप से दिया कि तुम्हे पत्नी वियोग होगा और तुम्हे वानर से सहायता लेनी होगी।
४. एक अन्य मत के अनुसार बाली इन्द्र और अहल्या के सम्बन्धों से हुआ पुत्र था वहीं देवी अंजनी गौतम ऋषि और उनकी पत्नी अहिल्या की संतान थीं।
५. ताड़का रावण की नानी थी और मारीच सुबाहु उसके मामा ।
६. गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका कल्याण में छपे एक लेख के अनुसार श्री राम ने ४३२००० वर्ष पृथ्वी पर राज्य किया और दस करोड़ राक्षसों का नाश किया ।
७.असुरों और राक्षसों में तीन ही ऐसे हुए है जिन्हे विष्णु की कृपा प्राप्त है जिनमें बली और विभीषण के साथ प्रहलाद भी है । विभीषण और बली चिरंजीव हैं ।
८. रामायण की मंथरा ही श्री कृष्ण के काल में कुब्जा बनी , पूतना राक्षसी , शूरप नखा और होलिका का पुनर्जन्म थी । रावण खुद शिशुपाल बना था ।
९. भगवान श्री राम के पूर्वज कलमाष्पाद और असमंजस राक्षस बने थे ।
१०. राजा हरिश्चन्द्र और रहा त्रिशंकु दोनों ही श्री राम के पूर्वज थे।
-Dangodara mehul