कुछ कहना है तुमसे एक फिक्र सी है मन में
एहसासों का डोर है जो सांसों से जुड़ा है
संबंध तो नहीं कुछ भी फिर भी कोई रिश्ता तो है
नज़रे उठा तो लेती हूं फिर तुम्हे देख क्यों झुकता सा है
कुछ धड़कता सा है सीने में शायद ये दिल सा है
बहुत तो नहीं है अभी पर हां थोड़ा थोड़ा सा तो है ।