अष्टभुजाधारिणी दुर्गा
महारानी हे।
महिषासुरमर्दिनी सिंहवाहिनी भवानी हे।
तुम्हीं जग की अवलंब हो।
आदि शक्ति तुम ही जीवन स्तम्भ हो।
कात्यायनी देवी तुम्हें प्रणाम।
कालरात्रि महागौरी तुम्हें प्रणाम।
कोटि-कोटि बार प्रणाम।
मैया जी सिंह पर सवार होकर
संकट हरने आई है।
खड्ग खप्पर धारण करके मैया जी असुरों का विनाश करने आई है।
जग कल्याणी जग का कल्याण करने आई है।
जग जननी मां जग की भव बाधा हरने आई है।
माता रानी आई है
मैया जगदम्बे आई है।
ढेरों खुशियां लेकर आई है।
झोलियां भरने आई है।
चलो भक्तों बोलों जयकारे।
माता जी के द्वारे।
लगाओ जयकारे।
भरे भंडारे ।
जय जय मां हे जय जय मां।
तेरी सच्ची जोत विच रज रज दर्शन पाएं।
मैया तेरे दर्शन पाकर जन्म
सफल हो जाए।
तेरे मंदिर पर लाल ध्वजा लहराएं ।
पान सुपारी ध्वजा नारियल लेकर आए।
मैया जी को चलो मनाएं।
मनाएं जगराते नवरात्रे में।
आओ भक्तों नाचो गाओ खुशियां मनाओ नवरात्रे में।
सब हिल मिल कर मंगल गीत गाएं सांचे दरबार में।
कीर्तन-भजन कराएं मां के मंदिर में।
शोभे मैया जी का रुप ।
मैया जी के चरणों में सुख अनूप।
फल फूल और पंचमेवा चढ़ाएं।
नित नित तेरी आरती उतारें।
कोटि-कोटि बार तेरी महिमा गाएं।
जय मां दुर्गा कोटि-कोटि प्रणाम।
-Anita Sinha