मेरे कन्हैया
मेरे कन्हैया तेरे बिना डूब ना जाए जीवन की नैया।
ओ मेरे कन्हैया तुम ही हो नैया के खिवैया।
आओ आओ कन्हैया।
वंशरी बजाओ कन्हैया।
तुम बिन सूनी है वृन्दावन की नगरिया।
द्रारका के राज पाट छोड़कर संसार को बचाओ कन्हैया।
हे कन्हैया तुम ही हो संसार के पालनहारे।
तुम ही हो सृजन हारे।
तुम आओ कन्हैया अब तुम आओ।
बाल वृद्ध नर और नारी तुम्हें पुकारे कन्हैया।
तुम बिन कौन सबको उबारे कन्हैया।
हे मुरलीधर हे गिरिधर
हे वंशीधर ।
लोगों की जिंदगी लटकी हुई है मंझधार में।
मौत के दावानल को शीतल करो कन्हैया।
हे कालीदह के नाथ नथैया
वंशरी बजैया।
मैं तो तेरे चरण कमलों को
नहीं छोडूंगी।
चाहे मेरे प्राण क्यो नही जाए कन्हैया।
अब तुम न आए तो
कितनी अबलाएं ललनाएं
नर नारियां वृद्ध लाचार
हो जाएंगे बेसहारा कन्हैया।
तुम तो अंत समय में साथ रहते हो । अभी तुम कहां हो कन्हैया।
तुमने भागवत में लिखा है।
सुखावसाने इदमेव सारं
दुखावसाने इदमेव ज्ञेयं।
देहावसाने इदमेव जाप्यं
गोविन्द दामोदर माधवेति।
इतने-इतने मनुष्य शोलों में जल रहे हैं।
अब शोले में न जले मानव हे कन्हैया।
सुनो कन्हैया सुनो।
नयन खोलो बद्री बाबा पीताम्बर धारी।
काल चक्र को रोक दो
अब नहीं देख सकती मैं
किसी को भी मरते हुए।
हे पीताम्बर धारी।
नहीं मैं नहीं देख सकती
सबको यूं एक साथ शोलों में जलते हुए।
हे कन्हैया अब काल चक्र
की गति को नियंत्रित करो कन्हैया।
विनती है कन्हैया।
तुम तो पास रहते हो मरनासन्न अवस्था में।
कहां छिपे हो ।
आओ बचाओ बचाओ।
संसार को।
अब ऐसे दारुण दुःख से उबारो।
आपने कहा है कन्हैया।
मैं संसार में अवतरण लूंगा।
हे देवकी नंदन हे यशोदा नंदन।
कृपा करो कृपा करो
रक्षा करो रक्षा करो।
जय जय श्री बद्री नारायण चतुर्भुजी नारायण।
कोटि-कोटि प्रणाम।
-Anita Sinha