मैं और मेरे अह्सास
वादो में जूम रहे हैं l
यादो में जी रहे हैं ll
हसीना की नशीली l
आँखों में डूब रहे हैं ll
भीगी भीगी चांदनी l
रातों में घुम रहे हैं ll
लोगों की मज़बूरी को l
लाखों में लुट रहे हैं ll
दर्द सहलाने के लिए l
बातों में फुक रहे हैं ll
दर्शिता