कब्र
कोरोना ने जगह जगह पर
कब्र का संसार बना दिया है।
पता नहीं क्यों इसने सबका जीना मुहाल कर दिया है।
जीवन लेने में जरा भी देर नहीं करती है कोरोना
सिर्फ लोगों को डर के साए में रखना चाहती है।
सावधानी रखने पर भी
शातिर कोरोना चतुर खिलाड़ी बनकर ज़बान से ही गले तक प्रवेश कर जाती है।
मास्क के ढीला होने का
वक्त ढूंढती है।
तुरंत चटपट खेल खत्म कर देना चाहती है कोरोना।
सिर्फ मगरमच्छ के आंसूओं की तरह सांत्वना के शब्दों से लोगों को
कब्र पर पहुंचाने की कोशिश करती है।
लोगों को हिदायत देती है कि डरो ना डरो ना।
क्योंकि मैं हूं कोरोना।
कब्र पर आंसूओं की कहानी लिख रही है।
ये बेधड़क लोगों के गले दबा रही है।
कब्र पर जद्दोजहद हो रही है लाश जलाने के लिए।
फिर भी बेशर्म कोरोना क्यों नहीं चली जाती सदा के लिए।
-Anita Sinha