हे अष्टभुजाधारिणी मां
नमोस्तुते।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनी अष्टभुजधारिणी माई ।
लाले लाले उड़हुल फुल ले अइनी हे माई।
खोलू न मंदिरिया के पट हे माई।
दुअरे पर ठाड़ अछि हे माई।
एक अपने अछि अवलंब हमार हे माई।
पान , सुपारी , ध्वजा, नारियल ,सिंदूर लेने अयन छि हे माई।
करियऊ विनती स्वीकार हे माई।
तोर बिना कैसे उद्धार होइत हे माई।
सेवकन के चरणिया से लगवने रखियऊ हे माई।
लाल साड़ी आऊर लाल चुनरिया शोभे हे माई ।
माई के करबई सोलहो
श्रृंगार हे माई।
कवना घाटे कयलू स्नान आऊर कवना घाटे झारलि
केश हे माई।
काली घाटे माई कईली
श्रृंगार हे माई।
धूप-दीप आऊर नित नित
आरती उतारब अषटभुजधारिणी हे माई।
ढोल ढाक झांझर आऊर करताल बजबई हे माई।
दण्डवत प्रणाम तोहरे चरणिया में करयछि हे माई।
कोटि-कोटि प्रणाम हे दुर्गा देवी महारानी भाई।
-Anita Sinha