सूरज की पहली किरणों संग
करती अपने दिन का जो आगाज
घर को चमकाने से लेकर परिवार की
हर सुख-सुविधा का रखती पूरा ध्यान
चूल्हे चौके से हवाई जहाज उड़ाने तक
सुई में धागा पिरोना हो या बॉर्डर पर
करना हो दुश्मन का संहार
छोटे से बड़े हर काम को देती
जो पूरी कुशलता से अंजाम
ऐसी कर्तव्यनिष्ठ, प्रतिभावान, कुशल
नारी शक्ति को नही एक दिन के
इस तथाकथित महिला दिवस की दरकार
साल का हर दिन है हमारे नाम
फिर भी ऐ पुरुष समाज तेरी संतुष्टि हेतु
हम आठ मार्च को महिला दिवस के
रूप में कर स्वीकार, धूमधाम से
मनाती हम हर साल।।।
-Saroj Prajapati