जब अपने छोटे छोटे व्खाइशो को जीने लगती नारी।
दुनिया दिखाती है उसे उसकी दायरे सारी।
अपने धरम मे बन्धी नारी, अपने करम मे बन्धी नारी।
अपनो की खूशी के लिये खुद के सपने करती कुरबान नारी।
जब भी सब्र का बाण टूटे तो सब पर भारी नारी।
दिलों में बस जाए वो मोहब्बत हूं।
कभी बहन, कभी ममता की मूरत हूं।
मेरे आंचल में हैं चाद सितारे।
मां के कदमों में बसी एक जन्नत हूं।
हर दर्द-ओ-गम को छुपा लिया सीने में।
लब पे ना आये कभी वो हसरत हूं।
मेरे होने से ही है यह कायनात जवान।
ज़िन्दगी की बेहद हसीं हकीकत हूं।
हर रूप रंग में ढल कर सवर जाऊं।
सब्र की मिसाल, हर रिश्ते की ताकत हूं।
अपने हौसले से तक़दीर को बदल दूं।
सुन ले ऐ दुनिया, हाँ मैं औरत हूँ।
-Maya