My Wonderful Poem...!!!
कुछ दिन तो मलाल सही
उसका हक़ था
ग़र बिछड़ा है तो ख्याल
उसका हक़ था
घर के मोड़ पर तो सवाल
उसका हक़ था
तूटें ख़्वाबों के झरोखों पे
उसका हक़ था
बसन्त के बाद पतझड़ पे
उसका हक़ था
रगोंमें बहतें लहूँके दबाव पे
उसका हक़ था
सवालों के भँवर में जवाब पे
उसका हक़ था
कश्ती साहिलों से उलझें तो
उसका हक़ था
रब भी ग़र सब्र पसंद करे तो
उसका हक़ था
कुछ दिन तो मलाल सही
उसका हक़ था
✍️🥀🌹🌹🌹🙏🌹🌹🌹🥀✍️