" खो जाएंगे "
एक दिन हम जुदा हो जाएंगे,
ना जाने कहां हम खो जाएंगे।
तुम लाख पुकारोगें हमको,
मगर लौट कर हम ना आएंगे।
थक हार के दिन के कामों से तुम,
जब रात को सोने तुम जाओगे।
जब देखोगे अपने फोन को,
और पैगाम हमारा ना पाओगे।
तब याद तुम्हें जरूर हम आएंगे,
मगर लौट के ना हम वापस आएंगे।
एक रोज शायद ये रिश्ता छूटेगा,
फिर तो कोई ना हमसे यूं क्यों रूठे।
पर हम ना आंखें यूं खोलेंगे,
तुमसे कभी ना हम भी बोलेंगे।
आखिर उस दिन तुम रो ही दोगें,
तब "मित्र" तुम्हारा मिलने तुमसे वापस आएगा।
✍️मनिष कुमार "मित्र" 🙏
-मनिष कुमार मित्र"