महज़ इत्तेफाक नही हुआ ,
कोइ रंगए नूर ,बरसता है।।
पाकर ,अब्र ए बहार मौसम
दिल सावन को, तरसता है ।।
ईत्र एहसास, हयात उसका,
मौज ए बहार को,तरसता है।।
खुलापन एकेलापन नहीं,
शून्यता हालको, तरसता है ।।
आनंद,स्वभाव है, सदैव ही,
सुकुन भरा दिल, तरसता है ।।
-મોહનભાઈ આનંદ