गीत
नए साल की अगवानी में
नये साल की अगवानी में
थोङ़ा रुककर , थोङ़ा झुककर
मन से मन की जोड़ लगाएँ।
कभी प्रेम के वशीभूत हो
हम रूठे वो मना न पाए
साफ किए न दिल के जाले
अंहकार ने जो उलझाए
धीरे से सब गाँठे खोलें
रसवन्ती की धार बहाएँ
मन से मन की जोड़ लगाएँ।
समय सजाए थाली तेरी
मेहनत के दे मीठे घेवर
सबका हिस्सा पहले देना
पहन नेह के सुन्दर जेवर
जिन रिश्तों की फटी चदरिया
सुन्दर सा पेबंद लगाएँ
मन से मन की जोङ लगाएँ।
जगमग - जगमग तारों वाली
रातें कैद करें कर में हम
फूल खिलेंगे सपनों वाले
फैलेगा सूरज का परचम
खुले व्योम में लिखें कथाएँ
आँखों में आकाश उठाएँ
मन से मन की जोङ़ लगाएँ।
डॉ पूनम गुजरानी
सूरत