शाम होने वाली है,
मंजिलों से मुलाकात होने वाली है,
घर से निकला था सुबह जो ख्वाब लेकर,
उन ख्वाबों से टकराव होने वाली है।।
सुबह से शाम का सफर,
कुछ खास रहा तो कुछ उदास रहा,
ना जाने कितने दिनों से यह सफर मेरे साथ रहा,
आज शायद इस शाम से मेरे मंजिलों का सफर पूरा हो,
आज फिर से,
शाम होने वाली है,
शायद मंजिलों से मुलाकात होने वाली है।।
-Shikha