बदलती है राहें जिंदगी की, ना जाने क्यू?
कोई तूफ़ान बनकर कभी गुज़रता है क्यू?
समय का खेल निराला, होता है, यकीनन,
अपना भी कोई, पराया हो जाता है क्यू?
दर्द ए ग़म एहसास, जगाते हुए जिंदगीमें,
ज़ख्म की विरासत देकर, चला जाता क्यू?
बड़ी मुश्किलसे ढोते रहें हैं, बोज बीरहाना,
अश्कों का बाजार दिल, बहेलाता है क्यू?
आनंद मिलता क्यु नहीं, हर मोड़ पर यहां,
ग़म ए जिंदगी रुलाकर, दिल थामता है क्यू?
-મોહનભાઈ આનંદ