#तुम्हें ख़ास बना गई
#love poem
वो पानी की एक बूँद को बरसात समझ गई,
पता था कि तू नसीब में ही नहीं, फ़िरभी तुम्हें खास बना गई!!
समझती भी क्यूँ नहीं खास तुम्हें,
तेरी नादानियाँ जो मेरे सामने आ गई!!
मांगी थी जब बिना गलतियों की माफी तूने,
हाय!उसी माफ़ी को याद करती रह गई!!
बरदास करते गये मेरे हर गुस्से को,
तेरी यही बात तो मुझे रुला गई!!
क्या करूँ मेरे इन जज्बातों का में,
तेरी दूरियां ही तेरे दिल के इतना पास बना गई!!
शामिल रहते गये मेरी हर बात पर,
तेरी यही बात तो मुझे भा गई!!
याद करु वो हर लम्हें तेरे साथ गुजारे,
वो लम्हों को भी मुस्कुराते शर्मा गई!!
पता था कि दूर होना ही है हमें,
फ़िरभी तेरी नजदीकियों की ओर चली गई!!
क्या पता था की तुम इतना बदल दोंगे हमें,
की तेरी मुहोब्बत आज हमें भी शायर बना गई!!!