क्या लिखा है?
हाथों के लकीरों में।
कभी गहरा तो कभी फिका
उकेरी है इन हथेलियों में में!
कुछ किस्से कुछ सबूत
छुपी है लकीरों में।
रंग उतरे इन लकीरों पर।
कई कहानियां
जागती इधर-उधर
रात के पहर!
अनायास ही
नजर पड़ती है जब इन पर।
सोचने लगती हूं मैं
क्या कहती है यह लकीरे?
जब से
जन्म लीया
तब से यूं ही बैठी है इन हाथों पर।
जीती जागती
कई सड़कों से
मूकदर्शक बनकर।
माया
-Maya