कतरनओ की "गुदड़ी- सी"
तमन्नाओं क "बाजार- सी "जिंदगी
लबों पर हंसी "उधार -सी" जिंदगी
बहुत कुछ एहसास है ,जिंदगी
सपनों में भी कुछ नाराज सी जिंदगी
जब भी चाहा छूना आसमान को
खुद को नाटा ही पाया
लंबी "उड़ान- सी "जिंदगी
जिसको भी चाहा हंसी गुलजार सी थी जिंदगी
भरी महफिल में खाली "मकान- सी" जिंदगी
श्रेया कुमार
नई दिल्ली